जो बीत गई सो बात गई
डॉ हरिवंश राय बच्चन (1907-2003)-उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले मे जन्मे हरिवंश राय बच्चन हिन्दी भाषा के कवि एवं लेखक हैं। वे हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों मे गिने जाते हैं।उनकी कालजयी रचना”मधुशाला” बेहद लोकप्रिय है। सन 1976 मे भारत सरकार द्वारा कवि को पद्मभूषण सम्मान से विभूषित किया गया।
जीवन में एक सितारा था,
माना वह बेहद प्यारा था;
वह डूब गया तो डूब गया।
अम्बर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे;
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले,
पर बोलो टूटे तारों पर,
कब अम्बर शोक मनाता है।
जो बीत गई सो बात गई।
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उसपर नित्य निछावर तुम;
वह सूख गया तो सूख गया।
मधुवन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ;
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ।
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली,
पर बोलो सूखे फूलों पर,
कब मधुवन शोर मचाता है।
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला था,
तुमने तन मन दे डाला था।
वह टूट गया तो टूट गया,
मदिरालय का आँगन देखो;
कितने प्याले हिल जाते हैं,
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं।
जो गिरते हैं कब उठतें हैं,
पर बोलो टूटे प्यालों पर,
कब मदिरालय पछताता है।
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिटटी के हैं बने हुए,
मधु घट फूटा ही करते हैं।
लघु जीवन लेकर आए हैं,
प्याले टूटा ही करते हैं।
फिर भी मदिरालय के अन्दर,
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं;
जो मादकता के मारे हैं,
वे मधु लूटा ही करते हैं।
वह कच्चा पीने वाला है,
जिसकी ममता घट प्यालों पर;
जो सच्चे मधु से जला हुआ,
कब रोता है चिल्लाता है।
जो बीत गई सो बात गई।
महान कवि की अद्भुत कविता।
प्रेरक व्यक्तित्व का मौलिक धरोहर , उम्दा और अनुकरणीय ।