ग़ज़ल
( 212 212 212 212 )
अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

दूर मुझसे न जा वरना मर जाऊँगा।
धीरे-धीरे सही मैं सुधर जाऊँगा।।
बाद मरने के भी मैं रहूंगा तेरा।
चर्चा होगी यही जिस डगर जाऊँगा।।
मेरा दिल आईना है न तोड़ो इसे।
गर ये टूटा तो फिर मैं बिखर जाऊँगा।।
नाम मेरा भी है पर बुरा ही सही।
कुछ न कुछ तो कभी अच्छा कर जाऊँगा।।
मेरी फितरत में है लड़ना सच के लिए।
तू डराएगा तो क्या मैं डर जाऊँगा।।
झूठी दुनिया में दिल देखो लगता नहीं।
छोड़ अब ये महल अपने घर जाऊँगा।।
मौत सच है यहाँ बाकी धोखा निज़ाम।
सच ही कहना है कह के गुज़र जाऊँगा।।