दोहावली-2

(1)

माता है पहली गुरू, दूजा आखर जान ।
तीजी चतुराई भली, सीख लीजिए ज्ञान ।।


(2)

शाला जाए लाड़ली, लेकर हाथ किताब ।
थामे बैंया भ्रात की, पढ़ने को बेताब ।।


(3)

गुरून आदर दीजिए, गुरू ज्ञाने भण्डार ।
सीस झुकाए सीखिए, ज्ञान बढ़े अंबार ।।


(4)

हल सवाल को कीजिए, दो और दो घटाय ।
दो में दो को जोड़िए, अंक ज्ञान हो जाय ।।


(5)

इकला आया जगत में, इकला ही चल जाय ।
काम कछू करले भला, फिर पाछे पछताय ।।


(6)

इकला आया जगत में, संग न कोई मीत ।
रख उजियारा अंतरे, रैन जायगी बीत ।।


(7)

माटी में पैदा हुआ, माटी में मिल जाय ।
गर्व ना कर तू ए मना, माटी ही रह जाय ।।


(8)

पूत-सुता घर में भरे, मात न पूछे कोय ।
जीवन की अंतिम घड़ी, वृद्धाश्रम माहि होय ।।


(9)

चांद खिला मन अर्घ दिया, किया पूर्ण उपवास ।
उमर बढ़े पी चांद की, करूं चांद अरदास ।।


(10)

माटी से पैदा हुआ, माटी संगहि जाय ।
माटी सांगे खेलते, माटी में मिल जाय ।।


श्रीमती सरिता श्रीवास्तव (15.04.2021)