नारी हूँ
नारी हूँ कमजोर नही हूँ
आज बताने आयी हूँ ।
सुकोमल हूँ अबला नही हूँ
घर बाहर दोनो ही संभालती हूँ।
मैं ही सीता मै ही दुर्गा
मैं ही लक्ष्मीबाई हूँ ।
धीरज धैर्य की बात चले तो
राधा रूक्मणी मीराबाई हूँ ।
माँ बहन बेटी पत्नी बनकर
इस जग मे आई हूँ ।
समय बदला नारी का परिवेश बदला
सुष्मिता कल्पना साइना बनकर छाई हूँ ।
आसमान मे उड़ती सीमा पर लड़ती
हर क्षेत्र मे गौरव बढ़ाती हूँ ।
नारी हूँ कमजोर नही हूँ
आज बताने आयी हूँ ।