गज़ल-तेरे दिल मे ठिकाना है

तेरी आँखों मे बसते है, तेरे दिल मे ठिकाना है।
भुला कर अब सभी नग़मे, तुझे ही गुनगुनाना है।।

कि हो कर दूर इतने भी, हमेसा पास रहते हो,
तुम्ही बसते हो यादों में, ये हिचकी तो बहाना है।

कि हर किस्सा छुपा लेना, हमारे प्रीत के हमदम,
मुहब्बत के हैं ये दुश्मन, बड़ा ज़ालिम ज़माना है।

चली आई ग़ज़ल बन कर, बहर मेरी संवारो तुम,
हमें तो गीत ग़ज़लों में, तुझे सुनना सुनाना है।

बचे जो अब तलक दिल में,कसक बाहर निकालो तुम,
भुला कर बात बीती सब,”निधि” हँसना हँसाना है।

कुमारी निधि चौधरी