आत्मसम्मान

रूढ़िवादी बेड़ियों को तोड़कर,
मै स्वतंत्र विचारों संग आगे बढ़ना चाहती हूँ।

स्वाभिमान की राह पकड़कर,
मै आत्मसम्मान से जीना चाहती हूँ।

रिश्तों को निभाने के लिए,
मैं बार-बार वजूद को नहीं खोना चाहती हूँ।

मजबूत इरादों के साथ,
मैं अपने मंजिल को तराशना चाहती हूँ।

आधुनिक भारत की नारी बनकर,
मैं अपना मार्ग स्वयं चुनना चाहती हूँ।

जिम्मेदारीयो को निभाते हुए,
मैं परिवार को प्यार के मजबूत डोर से बांधना चाहती हूँ।

श्रीमती प्रियंका त्रिपाठी (22.02.2021)